How Many Stocks Are Listed In NSE? जानें NSE Share List 2025 की पूरी जानकारी
1. परिचय
शेयर बाजार न केवल एक निवेश का माध्यम है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती, विकास और लोगों के वित्तीय दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। जब भी कोई निवेशक शेयर मार्केट में कदम रखता है, तो उसके मन में पहला सवाल यही होता है – NSE में कितनी कंपनियां लिस्टेड हैं?
यह सवाल सिर्फ जिज्ञासा नहीं है, बल्कि निवेश से पहले की समझदारी का हिस्सा है। जितनी ज़्यादा कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज पर उपलब्ध होती हैं, निवेशक के पास उतने ही ज़्यादा विकल्प मौजूद होते है। इससे पोर्टफोलियो में Variety आती है और निवेशक विभिन्न सेक्टर में Diversify करके रिस्क को कम कर सकते हैं।
2025 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर हजारों कंपनियां लिस्टेड हैं, जिनमें से कुछ बड़े और स्थिर व्यवसायों से जुड़ी हैं, तो कुछ स्मॉलकैप और ग्रोथ स्टेज पर हैं। इनमें मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, केमिकल, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे हर सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं। NSE का यह विविधता भरा नेटवर्क नए और अनुभवी दोनों तरह के निवेशकों को भरपूर अवसर प्रदान करता है।
अगर आप सोच रहे हैं कि NSE में लिस्टेड कंपनियों की संख्या आपके लिए क्यों मायने रखती है, तो इसका जवाब है – फायदे, अवसर और बेहतर निर्णय। अधिक लिस्टिंग का मतलब होता है अधिक लिक्विडिटी, निवेश की व्यापकता और सेक्टर-वाइज एक्सपोज़र।
आइए, इस लेख में हम विस्तार से समझते हैं कि 2025 तक NSE में कितनी कंपनियां लिस्टेड हैं, उनकी कैटेगरी क्या है, और यह जानकारी आपकी निवेश रणनीति को कैसे मजबूत बना सकती है।
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2. How Many Companies Are Listed In NSE?
2025 की दूसरी तिमाही (April–June 2025) के अंत तक, NSE (National Stock Exchange) पर लगभग 2,644 से 2,670 कंपनियां लिस्टेड हैं। यह आंकड़ा भारत के इक्विटी मार्केट में निरंतर बढ़ते निवेशकों की संख्या और कंपनियों की भागीदारी को दर्शाता है। NSE न केवल भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, बल्कि लिस्टिंग के लिहाज़ से यह एशिया के अग्रणी एक्सचेंजों में से एक है।

NSE पर लिस्टेड कंपनियों को मुख्यतः दो बड़ी श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
1. Mainboard (मुख्य बाजार)
Mainboard यानी EQ Series में लगभग 2,080 से अधिक कंपनियां सक्रिय रूप से ट्रेड हो रही हैं। ये वे कंपनियां होती हैं जो लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कैटेगरी में आती हैं। इनमें से अधिकतर कंपनियां ब्लूचिप या फंडामेंटली मजबूत होती हैं। इनमें निवेशक रोजाना बड़ी मात्रा में ट्रेडिंग करते हैं, जिससे इनकी लिक्विडिटी, पारदर्शिता, और रिटर्न पोटेंशियल बेहतर होता है।
Mainboard लिस्टिंग के लिए कंपनियों को SEBI और NSE द्वारा तय किए गए नियमों और फाइनेंशियल Criteria को पूरा करना होता है, जैसे
- न्यूनतम पेड-अप कैपिटल
- प्रॉफिटेबिलिटी ट्रैक रिकॉर्ड
- निवेशकों की संख्या
- डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड्स
इन कंपनियों में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है।
2. SME Platform (NSE Emerge)
SME यानी Small and Medium Enterprises के लिए बना विशेष प्लेटफॉर्म है – जिसे NSE Emerge के नाम से जाना जाता है। 2025 की दूसरी तिमाही तक, इस प्लेटफॉर्म पर 580 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं।
यह मंच उन छोटी कंपनियों को पूंजी बाज़ार से फंड जुटाने का अवसर देता है, जो भविष्य में बड़ी कंपनियों में बदल सकती हैं। SME प्लेटफॉर्म की खास बातें
- कम लिस्टिंग लागत
- सरल अनुपालन प्रक्रिया
- ग्रोथ-ओरिएंटेड निवेश अवसर
हालांकि इन कंपनियों में वोलैटिलिटी और रिस्क ज़्यादा हो सकता है, लेकिन यदि सही कंपनी को चुना जाए, तो Multi-Bagger Return भी मिल सकते हैं।
लिस्टिंग आंकड़े क्यों बदलते रहते हैं?
NSE में लिस्टेड कंपनियों की संख्या स्थायी नहीं होती — यह समय-समय पर बदलती रहती है। इसका कारण है,
- नए IPOs (Initial Public Offerings) जो हर महीने बाज़ार में आते हैं
- कुछ कंपनियों का डीलिस्ट होना
- Merger और Acquisition जैसी कॉर्पोरेट गतिविधियाँ
- SEBI या NSE द्वारा सस्पेंड की गई कंपनियाँ
इसलिए, NSE में लिस्टेड कंपनियों की संख्या में निरंतर उतार-चढ़ाव होता रहता है। निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे समय-समय पर इस आंकड़े को ट्रैक करें, ताकि वे यह जान सकें कि उन्हें निवेश के कितने विकल्प मिल सकते हैं।
3. NSE Share Types In Hindi
NSE (National Stock Exchange) भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, जहां हजारों कंपनियां अलग-अलग नियमों और ट्रेडिंग पैटर्न के आधार पर सूचीबद्ध होती हैं। सभी शेयर एक जैसे ट्रेडिंग नियमों के तहत नहीं आते — इसलिए NSE ने इन्हें अलग-अलग Series में वर्गीकृत किया है। यह वर्गीकरण निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि किस शेयर में कितना जोखिम है, कितनी लिक्विडिटी है, और कौन सा निवेश उनके लिए उपयुक्त रहेगा।

नीचे NSE की प्रमुख Series का विस्तृत विवरण दिया गया है।
1. EQ Series क्या है?
EQ Series (Equity Delivery + Intraday Series) NSE की सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सीरीज़ है, जहां लिक्विड स्टॉक्स लिस्टेड होते हैं। यहां ट्रेडिंग करना आसान होता है और अधिकतर रिटेल निवेशक इसी में ट्रेड करते हैं।
- यह सबसे लोकप्रिय कैटेगरी है, जिसमें आमतौर पर NSE के मुख्यबोर्ड (Mainboard) पर लिस्टेड कंपनियां आती हैं।
- इस सीरीज़ में शेयरों की इंट्रा-डे और डिलिवरी दोनों प्रकार की ट्रेडिंग की अनुमति होती है।
- EQ Series में सबसे अधिक लिक्विडिटी होती है और यही शेयर Index (जैसे Nifty 50, Nifty 100 आदि) का आधार बनाते हैं।
- 2025 तक EQ Series में लगभग 1,800+ कंपनियां सक्रिय रूप से ट्रेड हो रही हैं।
- यदि आप किसी मजबूत और फंडामेंटली अच्छे स्टॉक में निवेश करना चाहते हैं, तो EQ सीरीज़ आपके लिए सबसे उपयुक्त होती है।
2. BE Series क्या होती है?
BE Series (Book Entry) उन शेयरों के लिए होती है जिनमें इंट्राडे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होती। यह Series जोखिमपूर्ण और लो लिक्विडिटी शेयरों को अलग करने के लिए बनाई गई है।
- BE Series में आने वाले शेयरों की सिर्फ डिलिवरी ट्रेडिंग ही संभव होती है, यानी T+1 या T+2 सेटलमेंट में ही आप इन शेयरों को बेच या खरीद सकते हैं।
- इन शेयरों को आमतौर पर कम लिक्विडिटी, हाई वोलैटिलिटी या अनिश्चित फाइनेंशियल स्टेटस के कारण BE Series में रखा जाता है।
- इसमें इंट्रा-डे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होती और हर ट्रेड में डिलिवरी अनिवार्य होती है।
- 2025 तक BE Series में लगभग 270+ कंपनियां लिस्टेड हैं।
- यदि आप BE सीरीज़ में निवेश कर रहे हैं, तो ध्यान रखें कि Buy-Sell दोनों में दिक्कत और Slippage की संभावना अधिक होती है।
3. BZ Series क्या है?
BZ Series उन कंपनियों के लिए होती है जो NSE या SEBI के नियमों का ठीक से पालन नहीं कर रही होतीं। यह एक वॉर्निंग कैटेगरी मानी जाती है, जहां निवेश से पहले विशेष सतर्कता जरूरी होती है।
- यह कैटेगरी उन कंपनियों के लिए है जो NSE और SEBI के द्वारा निर्धारित नियमो और दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं।
- BZ Series में लिस्टेड कंपनियों को अक्सर कॉरपोरेट गवर्नेंस, वित्तीय रिपोर्टिंग, या अन्य अनुपालन में खामियों के कारण शामिल किया जाता है।
- इन शेयरों को हाई रिस्क कैटेगरी में रखा जाता है और इनका ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बहुत कम होता है।
- 2025 तक BZ Series में लगभग 40 से अधिक कंपनियां शामिल हैं।
- निवेशकों को सलाह दी जाती है कि BZ Series में निवेश करने से पहले कंपनी की स्थिति और जोखिम को पूरी तरह समझें।
4. SME Series क्या होती है?
SME Series (Small & Medium Enterprises) उन छोटी कंपनियों के लिए होती है जो NSE पर पूंजी जुटाने के लिए लिस्ट होती हैं, लेकिन ये अभी बड़े लेवल पर काम नहीं कर रही होतीं।
- SME यानी Small And Medium Enterprises की कंपनियों को NSE के EMERGE प्लेटफॉर्म पर लिस्ट किया जाता है।
- ये कंपनियां शुरुआत में बड़ी नहीं होतीं लेकिन इनमें उच्च विकास की संभावना होती है, इसलिए इनका रिस्क भी तुलनात्मक रूप से अधिक होता है।
- SME Stocks को SME Series या SM Series के रूप में जाना जाता है।
- 2025 तक SME प्लेटफॉर्म पर 580+ कंपनियां लिस्टेड हैं।
- ये शेयर आमतौर पर Low Liquidity, Higher Spreads, और Strict Lot Sizes के साथ आते हैं — यानी इनका ट्रेडिंग स्टाइल थोड़ा अलग और कठिन हो सकता है।
- हालांकि, सही SME स्टॉक भविष्य में Multibagger बन सकता है, अगर उसमें मजबूत बिजनेस मॉडल और ग्रोथ पोटेंशियल हो।
4. NSE Market Cap और वर्ल्ड मार्केट में रैंक
National Stock Exchange (NSE) आज सिर्फ भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज नहीं है, बल्कि यह दुनिया के टॉप ग्लोबल स्टॉक मार्केट्स में भी अपनी मजबूत पहचान बना चुका है। तेजी से बढ़ती लिस्टिंग, निवेशकों की भागीदारी और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन ट्रेडिंग सिस्टम ने NSE को ग्लोबली एक लीडिंग फाइनेंशियल हब बना दिया है।
1. 2025 में NSE की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन कितनी है?
जून 2025 तक NSE India की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग USD $4.87 ट्रिलियन (₹406 लाख करोड़ से अधिक) तक पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत की इकोनॉमी और कंपनियां कैसे वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं। NSE पर लिस्टेड कंपनियों की ग्रोथ, इनोवेशन और विदेशी निवेश के चलते यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
Market Capitalization किसी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड सभी कंपनियों की कुल वैल्यू होती है। यह आंकड़ा जितना बड़ा होता है, वह एक्सचेंज उतना ही मजबूत और भरोसेमंद माना जाता है।
2. NSE दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज
2025 की पहली छमाही के अंत तक Market Cap के आधार पर, NSE दुनिया का 4th सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन चुका है। इससे ऊपर सिर्फ ये तीन एक्सचेंज हैं।
- New York Stock Exchange (NYSE) – $28.5 ट्रिलियन+
- NASDAQ – $25.2 ट्रिलियन+
- Shanghai Stock Exchange (SSE) – $7.1 ट्रिलियन+
NSE भारत का अकेला ऐसा एक्सचेंज है जो इस टॉप 5 लिस्ट में शामिल है — यह न केवल भारत की तेज़ी से बढ़ती Economy का प्रमाण है, बल्कि घरेलू कंपनियों के प्रदर्शन और निवेशकों के विश्वास का भी परिणाम है।
3. NSE में लगातार बढ़ती निवेशकों की रुचि और IPO Listing
- 2024–25 के दौरान 50+ IPOs NSE पर लिस्ट हुए, जिनमें से कई Oversubscribed हुए और Listing Gains में ₹100 करोड़ से ज्यादा के Returns भी दिए।
- NSE पर रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या 14.2 करोड़ से अधिक पहुंच चुकी है, जिसमें अधिकांश रिटेल इन्वेस्टर्स हैं।
- डिजिटल KYC, मोबाइल ट्रेडिंग ऐप्स और UPI इंटीग्रेशन की वजह से ट्रेडिंग पहले से कहीं आसान और तेज़ हो गई है।
4. NSE क्यों बना निवेशकों की पहली पसंद?
- High-Frequency Trading सिस्टम
- Real-Time डेटा एनालिसिस और Transparency
- टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन और कम ट्रेडिंग चार्जेस
- गवर्नमेंट और SEBI द्वारा Regulated Structure
इन सभी कारणों से NSE आज सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि ग्लोबल निवेशकों के लिए भी एक सुरक्षित, Trusted और प्रॉफिटेबल एक्सचेंज बन चुका है।
5. NSE पर लिस्टिंग क्यों जरूरी है?
National Stock Exchange (NSE) पर किसी कंपनी की लिस्टिंग सिर्फ एक औपचारिकता नहीं होती, बल्कि यह उस कंपनी के ग्रोथ, पारदर्शिता और निवेश के अवसरों का प्रमाण होती है। NSE पर लिस्टेड कंपनियां भारतीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए ज्यादा विश्वसनीय मानी जाती हैं। आइए जानते हैं कि NSE पर कंपनी के लिस्ट होने से निवेशकों को क्या-क्या फायदे मिलते हैं।

1. हर सेक्टर में निवेश का अवसर
NSE पर 2,600+ से ज़्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं, जो हर बड़े और उभरते सेक्टर को कवर करती हैं — जैसे कि IT, FMCG, EV, Pharma, Infra, Chemicals, Financial Services और Defence।
इस विविधता से निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने का मौका मिलता है, ताकि वे रिस्क को संतुलित रखते हुए बेहतर रिटर्न हासिल कर सकें।
चाहे आप ग्रोथ स्टॉक्स में निवेश करना चाहते हों या डिविडेंड देने वाली कंपनियों में, NSE पर हर प्रकार की रणनीति के अनुसार विकल्प मौजूद हैं।
2. अधिक लिक्विडिटी – आसानी से खरीद और बिक्री
NSE भारत का सबसे अधिक ट्रेडिंग वॉल्यूम वाला एक्सचेंज है — यानि यहां हर दिन करोड़ों शेयरों की खरीद-बिक्री होती है।
अधिक लिक्विडिटी का मतलब है कि आप आसानी से किसी भी समय शेयर खरीद या बेच सकते हैं, बिना यह चिंता किए कि कोई खरीदार या विक्रेता मिलेगा या नहीं।
इससे निवेशकों को न सिर्फ Flexibility मिलती है, बल्कि Price Slippage और Losses से भी बचाव होता है।
3. NSE Emerge से छोटे बिज़नेस को पहचान
Small और Mid Cap (SMEs) के लिए NSE ने एक अलग प्लेटफॉर्म बनाया है — NSE Emerge, जहां 580+ कंपनियां जून 2025 तक लिस्ट हो चुकी हैं।
यह प्लेटफॉर्म उन्हें सीधे कैपिटल मार्केट से फंड जुटाने का मौका देता है।
इससे निवेशकों को उभरती हुई कंपनियों में जल्दी निवेश करने का अवसर मिलता है — यानी आप किसी संभावित मल्टीबैगर कंपनी का हिस्सा शुरुआत से बन सकते हैं।
4. नए अवसर – IPOs के ज़रिए निवेश
NSE पर हर महीने कई नए IPO लॉन्च होते हैं — और इनमें से कई कंपनियां तेज़ ग्रोथ दिखाती हैं।
IPO में निवेश का मतलब है कंपनी की ग्रोथ जर्नी में शुरुआत से हिस्सा लेना। अगर आपने सही IPO चुना, तो कुछ ही महीनों में शानदार लिस्टिंग गेन और लॉन्ग टर्म रिटर्न मिल सकते हैं।
NSE का मजबूत रेगुलेटरी सिस्टम इन IPOs को पारदर्शिता, वैल्यूएशन और निवेशकों की सुरक्षा के साथ पेश करता है — जिससे यह एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म बन जाता है।
5. पारदर्शिता और निवेशक संरक्षण
NSE पर लिस्टेड कंपनियों को SEBI और NSE के कड़े नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि नियमित फाइनेंशियल रिपोर्टिंग, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और ऑडिट्स।
इससे निवेशकों को हर समय सही और स्पष्ट जानकारी मिलती है — और वह Informed Decision ले पाते हैं।
6. निष्कर्ष
NSE (National Stock Exchange) केवल भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज ही नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म है जहाँ से लाखों निवेशकों की संपत्ति की शुरुआत होती है। 2025 की दूसरी तिमाही तक NSE में 2,644 से 2,670 के बीच कंपनियां लिस्टेड हैं, जो यह दर्शाता है कि भारत में व्यापार का विस्तार कितनी तेज़ी से हो रहा है और निवेश के कितने विविध विकल्प अब हमारे सामने हैं।
Mainboard पर जहाँ 2,080+ फंडामेंटली मजबूत कंपनियाँ हैं, वहीं 580+ SME कंपनियाँ भविष्य की संभावनाओं को दर्शाती हैं। यह लिस्टिंग डेटा निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि बाजार में विविधता कितनी है, और वह किस सेक्टर या कैटेगरी में निवेश करके अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।
NSE पर शेयरों की अलग-अलग Series (EQ, BE, BZ, SME) में वर्गीकरण से यह सुनिश्चित होता है कि निवेशक अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार सही स्टॉक्स का चुनाव कर सकें। चाहे आप एक सुरक्षित निवेशक हों जो Bluechip स्टॉक्स में विश्वास रखते हैं, या एक Growth Hunter जो SME और IPOs में मल्टीबैगर की तलाश करते हैं — NSE की विविधता हर प्रोफाइल को एकदम सटीक विकल्प देती है।
2025 में NSE की Market Capitalization $4.87 ट्रिलियन से अधिक हो चुकी है, और यह इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बनाता है। यह आंकड़ा न सिर्फ भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि विदेशी निवेशक भी अब भारत को एक भरोसेमंद मार्केट के रूप में देख रहे हैं।
इसलिए, जब भी आप शेयर बाजार में कदम रखें, यह समझना जरूरी है कि NSE में कितनी कंपनियां लिस्टेड हैं — क्योंकि यही आंकड़ा आपके लिए नई निवेश रणनीतियों के दरवाज़े खोल सकता है।
NSE की लिस्टिंग संख्या जितनी बड़ी होगी, आपके निवेश के अवसर उतने ही ज्यादा और मजबूत होंगे।
7. Disclaimer
इस ब्लॉग में दी गई सभी जानकारी केवल शैक्षणिक और सूचना देने के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। इसमें उल्लेखित डेटा, आंकड़े और तथ्य जून 2025 तक के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध संसाधनों, जैसे कि NSE India, SEBI रिपोर्ट्स, और अन्य फाइनेंशियल डेटा प्लेटफॉर्म्स से लिए गए हैं।
लेखक और Share Market Guruji इस बात की कोई गारंटी नहीं देते कि दी गई जानकारी भविष्य में भी पूर्णतः सटीक या ऐसी ही बनी रहेगी, क्योंकि शेयर बाजार की जानकारी और आंकड़े समय-समय पर बदलते रहते हैं, जैसे कि नए IPOs की लिस्टिंग, कंपनियों की डीलिस्टिंग, M&A गतिविधियाँ या रेगुलेटरी परिवर्तन।
यह लेख कोई निवेश सलाह नहीं है, और न ही किसी विशेष स्टॉक या एक्सचेंज में निवेश करने की अनुशंसा करता है। शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन होता है, इसलिए निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) या प्रमाणित विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।
लेख में प्रस्तुत कोई भी आंकड़ा केवल जानकारी देने के लिए है, और इसे निवेश का आधार मानकर लिया गया निर्णय आपकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। लेखक या वेबसाइट किसी भी प्रकार की लाभ या हानि के लिए उत्तरदायी नहीं होगी।
8. FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. 2025 में NSE में कुल कितनी कंपनियां लिस्टेड हैं?
Ans: 2025 की दूसरी तिमाही के अंत तक NSE (National Stock Exchange) पर कुल लगभग 2,644 से 2,670 कंपनियां लिस्टेड हैं, जिनमें मुख्य रूप से Mainboard और SME प्लेटफॉर्म की कंपनियाँ शामिल हैं। यह आंकड़ा बदलता रहता है क्योंकि नए IPO आते हैं और कुछ कंपनियाँ डीलिस्ट हो जाती हैं।
2. NSE Mainboard और SME Platform में क्या अंतर होता है?
Ans: Mainboard में बड़ी और स्थापित कंपनियां लिस्टेड होती हैं जिनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होती है, जबकि SME Platform पर Small & Medium Enterprises लिस्टेड होते हैं जो ग्रोथ स्टेज पर होते हैं। Mainboard स्टॉक्स में लिक्विडिटी ज्यादा होती है, वहीं SME स्टॉक्स में संभावित मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकते हैं।
3. NSE पर कितने प्रकार की शेयर कैटेगरीज होती हैं?
Ans: NSE पर शेयरों को विभिन्न सीरीज़ में बांटा गया है जैसे EQ (Equity), BE (Book Entry), BZ (Non-Compliance), और SME (Small & Medium Enterprises)। ये वर्गीकरण निवेशकों को जोखिम और ट्रेडिंग स्टाइल के अनुसार निर्णय लेने में मदद करता है।
4. NSE का Market Capitalization कितना है 2025 में?
Ans: 30 जून 2025 तक NSE की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन $4.87 ट्रिलियन (₹406 लाख करोड़ से अधिक) हो चुकी है, जिससे यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन गया है। यह भारत की तेज़ी से बढ़ती इकॉनमी और निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है।
5. NSE पर निवेश करने के क्या फायदे हैं?
Ans: NSE पर निवेश करने से आपको कई फायदे मिलते हैं – जैसे सेक्टर-वाइज डाइवर्सिफिकेशन, अधिक लिक्विडिटी, IPO में भागीदारी, SME ग्रोथ के अवसर, पारदर्शी नियम, और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन ट्रेडिंग सिस्टम। यह भारत का सबसे ट्रस्टेड और हाई वॉल्यूम एक्सचेंज है।